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गुरुवार, 30 जुलाई 2009
आज का सद़विचार 'राग-द्वेष'
जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्णा को,
त्याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है,
वह संत पुरूष जगत के लिए जहाज है।
1 टिप्पणी:
डॉ. मनोज मिश्र
30 जुलाई 2009 को 12:04 pm बजे
utkrist.
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utkrist.
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