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गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

आज का सद़विचार '' कलंक ''

चन्‍द्रमा अपना प्रकाश सम्‍पूर्ण
आकाश में फैलाता है परन्‍तु
अपना कलंक अपने ही पास रखता है


- रवीन्‍द्र

4 टिप्‍पणियां:

  1. सदा जी,
    चुन-चुन कर विचार प्रस्तुत करती हैं आप। बहुत ही गहन बात आज के विचार में।

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  2. सदा जी,
    आपके सदविचार बड़े ही प्रेरक होते हैं.सराहनीय प्रयास के लिए.बधाई!!

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रकाश फैलाना इसलिए संभव हो पाता है कि कलंक अपना नहीं,औरों का दिया होता है।

    जवाब देंहटाएं

यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'