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मंगलवार, 21 जून 2011

आज का सद़विचार '' अनुसरण ''


मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है,उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है .क्यों किसी ने कुछ कहा ? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा
कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.
उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा .
अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते .
नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे .अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे ,जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी


- राजेंद्र तेला

आज सद़विचार पर हैं ... राजेन्‍द्र तेला जी ब्‍लॉग जगत से ...

5 टिप्‍पणियां:

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