कितनी अर्थपूर्ण बात है। इन्ही भावों को रहीम खानखाना के इस दोहे ने भी समझाया है " रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटिकाय टूटे से फिरि ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ि जाय ॥अच्छी पोस्ट।सादर,मुकेश कुमार तिवारी
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कितनी अर्थपूर्ण बात है। इन्ही भावों को रहीम खानखाना के इस दोहे ने भी समझाया है
जवाब देंहटाएं" रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटिकाय
टूटे से फिरि ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ि जाय ॥
अच्छी पोस्ट।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी