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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

आज का सद़विचार 'पढ़ने का शौक'

जिसे पुस्‍तकें पढ़ने का शौक है, वह
सब जगह सुखी रह सकता है ।

- महात्‍मा गांधी

1 टिप्पणी:

  1. बिल्कुल सही बात है,पहले भी पढी है,लेकिन आज भी पढ्कर आनन्द ही आया,मैं कम से कम १०० पृष्ट रोज पढता हूं लगभग ४५ साल से
    पुस्तक से सरल मित्र हो ही नहीं सकता,
    आज आपके ब्लाग्स पर आया सभी ब्लाग सार्थक हैं बधाई
    मेरी रचनाओं को युग्म व मेरे ब्लाग्स पर कबूलने हेतु आभार
    श्याम सखा

    जवाब देंहटाएं

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