कलाओं के माध्यम से भारत को नव जीवन प्रदान करना यही संस्कार भारती का लक्ष्य है
कुछ प्रश्न हमे मथते हैं
कहाँ जा रही है हमारी नई पीढी ? कैसे बचेगी हमारी संस्कृति ? कैसा होगा कल का भारत ? 'ऐसे में अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता ,पर संगठित होकर हम सारी चुनोतियों का मुकाबला कर सकतें हैं । इसी प्रकार का एक संगठन सूत्र है 'संस्कार भारती 'जिससे जुड़कर आप अपने स्वप्नों और आदर्शों के अनुरूप भारत का नव निर्माण कर सकतें हैं । ' जुड़ने के लिए अपना ई -पता टिप्पणी के साथ लिखें
परिचय एवं उद्देश्य संस्कार भारती की स्थापना जनवरी १९८१ में लखनऊ में हुई थी । ललित कला के छेत्र में आज भारत के सबसे बड़े संगठन के रूप में लगभग १५०० इकाइयों के साथ कार्यरत है । शीर्षस्थ कला साधक व् कला प्रेमी नागरिक तथा उदीयमान कला साधक बड़ी संख्या में हम से जुड़े हुए हैं ।
संस्कार भारती कोई मनोरंजन मंच नही है । हम कोई प्रसिक्छनमंच नही चलाते, न कला कला के लिए मानकर उछ्र्न्खल और दुरूह प्रयोग करते रहते हैं ।
हमारी मान्यता है कि कला का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है । कला राष्ट्र की सेवा ,आराधना ,पूजा का शशक्त माध्यम है । कला वस्तुतः एक साधना है ,समर्पण है , इसी भावना सूत्र में हम कला संस्कृति कर्मियों को बाँधते हैं ।
संस्कार भारती भारत को आनंदमय बनाना चाहती है । उसे नव जीवन प्रदान करना चाहती है । हर घर हर परिवार में कला को प्रतिष्ठित करना चाहती है । नई पीढी को सुसंस्कृत करना चाहती है ।
संस्कार भारती प्राचीन कलाओं को संरक्च्हन , आधुनिक कलाओं का संवर्धन एवं
लोक कलाओं का पुनुरुथान चाहती है और सभी आधुनिक प्रयोगों को प्रोत्साहन भी देती है ।
संस्कार भारती सभी प्रकार के प्रदूषणों का प्रबल विरोध व् उपेक्छा करती है । सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य ,
सामूहिकता के विकास के माध्यम से स्वमेव , समस्याओं के हल हो जाने का वातावरण बनाना है।
व्यक्ति विशेष पर आश्रित होना या आदेशों का अनुपालन करना हमारा अभीष्ट नहीं है ।
दुख से मुक्ति मे ही भय से मुक्ति है
जवाब देंहटाएंसाधयति संस्कार भारती भारते नव जीवनम्
जवाब देंहटाएंकलाओं के माध्यम से भारत को नव जीवन प्रदान करना यही संस्कार भारती का लक्ष्य है
कुछ प्रश्न हमे मथते हैं
कहाँ जा रही है हमारी नई पीढी ?
कैसे बचेगी हमारी संस्कृति ?
कैसा होगा कल का भारत ?
'ऐसे में अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता ,पर संगठित होकर हम सारी चुनोतियों का मुकाबला कर सकतें हैं । इसी प्रकार का एक संगठन सूत्र है 'संस्कार भारती 'जिससे जुड़कर आप अपने स्वप्नों और आदर्शों के अनुरूप भारत का नव निर्माण कर सकतें हैं ।
' जुड़ने के लिए अपना ई -पता टिप्पणी के साथ लिखें
परिचय एवं उद्देश्य
संस्कार भारती की स्थापना जनवरी १९८१ में लखनऊ में हुई थी । ललित कला के छेत्र में आज भारत के सबसे बड़े संगठन के रूप में लगभग १५०० इकाइयों के साथ कार्यरत है । शीर्षस्थ कला साधक व् कला प्रेमी नागरिक तथा उदीयमान कला साधक बड़ी संख्या में हम से जुड़े हुए हैं ।
संस्कार भारती कोई मनोरंजन मंच नही है ।
हम कोई प्रसिक्छनमंच नही चलाते, न कला कला के लिए मानकर उछ्र्न्खल और दुरूह प्रयोग करते रहते हैं ।
हमारी मान्यता है कि कला का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है ।
कला राष्ट्र की सेवा ,आराधना ,पूजा का शशक्त माध्यम है ।
कला वस्तुतः एक साधना है ,समर्पण है ,
इसी भावना सूत्र में हम कला संस्कृति कर्मियों को बाँधते हैं ।
संस्कार भारती भारत को आनंदमय बनाना चाहती है ।
उसे नव जीवन प्रदान करना चाहती है ।
हर घर हर परिवार में कला को प्रतिष्ठित करना चाहती है ।
नई पीढी को सुसंस्कृत करना चाहती है ।
संस्कार भारती प्राचीन कलाओं को संरक्च्हन ,
आधुनिक कलाओं का संवर्धन एवं
लोक कलाओं का पुनुरुथान चाहती है
और सभी आधुनिक प्रयोगों को प्रोत्साहन भी देती है ।
संस्कार भारती सभी प्रकार के प्रदूषणों का प्रबल विरोध व् उपेक्छा करती है ।
सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य ,
सामूहिकता के विकास के माध्यम से स्वमेव ,
समस्याओं के हल हो जाने का वातावरण बनाना है।
व्यक्ति विशेष पर आश्रित होना या आदेशों का अनुपालन करना हमारा अभीष्ट नहीं है ।
हम करें राष्ट्र आराधन ....
Posted by mahamayasanskarbharti