सुंदर विचार ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है। साहित्यकार-बाबा नागार्जुन, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
तुलसीदासजी ने भी तो कहा है ’’आव नहीं आदर नहीं नैनन नहीं सनेेह तुलसी तहां न जाहिये कंचन वरसत मेह
sochane par majboor karne wala vichar.....
des chhod jaayen kahan ... kyon na sadvicharon se ise hi achchha bana lein.
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सुंदर विचार ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार-बाबा नागार्जुन, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
तुलसीदासजी ने भी तो कहा है ’’
जवाब देंहटाएंआव नहीं आदर नहीं नैनन नहीं सनेेह
तुलसी तहां न जाहिये कंचन वरसत मेह
sochane par majboor karne wala vichar.....
जवाब देंहटाएंdes chhod jaayen kahan ... kyon na sadvicharon se ise hi achchha bana lein.
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