पूर्ण रूप से जाग्रत और चैतन्य हुए बिना विवेक भी अपूर्ण होता है,मात्र बुद्धी होती है वो भी असहज .असंतुलित स्थिती,परिस्थिती से प्रभावित हो सकती है विवेक सहज और संतुलित होता है चाहे उसे जीवन का नमक कहो या जीवन जल , जब तक सहज नहीं हो,बुद्धी से अधिक नहीं होता, ऐसा मेरा मानना है डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
सार्थक शुभसंदेश ...!!
जवाब देंहटाएंआभार ...!!
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जवाब देंहटाएंपूर्ण रूप से जाग्रत और चैतन्य हुए बिना
जवाब देंहटाएंविवेक भी अपूर्ण होता है,मात्र बुद्धी होती है
वो भी असहज .असंतुलित
स्थिती,परिस्थिती से प्रभावित हो सकती है
विवेक सहज और संतुलित होता है
चाहे उसे जीवन का नमक कहो या जीवन जल ,
जब तक सहज नहीं हो,बुद्धी से अधिक नहीं होता,
ऐसा मेरा मानना है
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
सटीक बिंब से सार्थक संदेश……
जवाब देंहटाएंसही है, जीवन में दोनों महत्वपूर्ण हैं।
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