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सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

आज का सद़विचार 'वस्‍तु चिंतन'

जो अप्राप्‍त वस्‍तु के लिए चिंता नहीं करता और
प्राप्‍त वस्‍तु के लिए सम रहता है, वह संतुष्‍ट
कहा जा सकता है ।

- महोपनिषद

1 टिप्पणी:

यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'