bahut achcha hai.
असली नकली का भेद करना दुनिया को आता ही नहीं, सुंदर विचार !
बहुत सुन्दर विचार...
अच्छा विचार है।पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलं अन्नं सुभाषितम्।मूढ़ैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते॥२॥पृथ्वी में तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित, किन्तु मूर्ख जन पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न समझते हैं।
उपरोक्त संस्कृत सूत्र, धान के देश ब्लॉग़ से लिया है
सुन्दर विचार...
Beautiful thought
very great thought
विचारणीय .....
सदैव स्मरण रखने योग्य विचार है यह।
यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'
bahut achcha hai.
जवाब देंहटाएंअसली नकली का भेद करना दुनिया को आता ही नहीं, सुंदर विचार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार...
जवाब देंहटाएंअच्छा विचार है।
जवाब देंहटाएंपृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलं अन्नं सुभाषितम्।
मूढ़ैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते॥२॥
पृथ्वी में तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित, किन्तु मूर्ख जन पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न समझते हैं।
उपरोक्त संस्कृत सूत्र, धान के देश ब्लॉग़ से लिया है
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार...
जवाब देंहटाएंBeautiful thought
जवाब देंहटाएंvery great thought
जवाब देंहटाएंविचारणीय .....
जवाब देंहटाएंसदैव स्मरण रखने योग्य विचार है यह।
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