wah.....aur fir se wah.
दरअसल युग पास है नहीं युग बनाना है फिर उसमे रह सकते हैं !
बहुत सुन्दर और सार्थक..
बहुत खूब !!! ज़रा मेरा ब्लाग भी देखने की कृपा करें ।http://hinditeachers.blogspot.com
सच ही तो है,सतयुग-कलयुग आत्मा में बसते है।
बिलकुल सच है ... समाज वैसे बनता है जैसे हम इसे बनाते हैं !
true....
बहुत सुन्दर .
Sarthak Rachna k liye badhai
यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'
wah.....aur fir se wah.
जवाब देंहटाएंदरअसल युग पास है नहीं युग बनाना है फिर उसमे रह सकते हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!! ज़रा मेरा ब्लाग भी देखने की कृपा करें ।
जवाब देंहटाएंhttp://hinditeachers.blogspot.com
सच ही तो है,सतयुग-कलयुग आत्मा में बसते है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच है ... समाज वैसे बनता है जैसे हम इसे बनाते हैं !
जवाब देंहटाएंtrue....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंSarthak Rachna k liye badhai
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