सर्वांग सहमत!! ग्रंथ की प्रासंगिकता रेखांकित हुई!! गीतार्थ दृष्टिकोण!!
ईश्वर मौन में ही मुखर होता है ! उसके सम्बंध में ग्रंथ की महत्ता एक सीमा तक ही है, विज्ञानं के लिये जरूरी हो सकता है !
बहुत सुन्दर विचार।
यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'
सर्वांग सहमत!! ग्रंथ की प्रासंगिकता रेखांकित हुई!! गीतार्थ दृष्टिकोण!!
जवाब देंहटाएंईश्वर मौन में ही मुखर होता है ! उसके सम्बंध में ग्रंथ की महत्ता एक सीमा तक ही है, विज्ञानं के लिये जरूरी हो सकता है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार।
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