घमंड मनुष्य के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है किसी में अधिक किसी में कम पर इसका स्तर व्यक्ति के सोच पर निर्भर है दूसरों के प्रति असम्मान नहीं हो ,किसी को व्यथित नहीं करे,स्वयं को मानसिक,शररीरिक हानी नहीं हो तो थोड़ा घमंड विशेष कर अगर सिद्धांत को लेकर हो तो अनुचित नहीं मानता कई बार सिद्धान्वादी लोगों को भी लोग घमंडी कहते हैं प्रभुता महत्त्व,और पद पा कर मनुष्य अवस्य ही गौरव का अनुभव करता है,कई बार वह घमंड की सीमा तक पहुँच जाता है,पर उसका सीमांकन भी आसान नहीं है,उचित और अनुचित में बहुत महीन रेखा होती है
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जवाब देंहटाएंयह भी मनुष्य के स्वभाव का एक अंग ही है!.....सुन्दर विचार!
जवाब देंहटाएंप्रभुसत्ता अहंकार की जननी है। महान है जो अलिप्त रहते है।
जवाब देंहटाएंअफ़सोस,कि कइयों को तो इसका अहसास भी नहीं होता।
जवाब देंहटाएंघमंड मनुष्य के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है किसी में अधिक किसी में कम
जवाब देंहटाएंपर इसका स्तर व्यक्ति के सोच पर निर्भर है
दूसरों के प्रति असम्मान नहीं हो ,किसी को व्यथित नहीं करे,स्वयं को मानसिक,शररीरिक हानी नहीं हो
तो थोड़ा घमंड विशेष कर अगर सिद्धांत को लेकर हो तो अनुचित नहीं मानता
कई बार सिद्धान्वादी लोगों को भी लोग घमंडी कहते हैं
प्रभुता महत्त्व,और पद पा कर मनुष्य अवस्य ही गौरव का अनुभव करता है,कई बार वह घमंड की सीमा तक पहुँच जाता है,पर उसका सीमांकन भी आसान नहीं है,उचित और अनुचित में बहुत महीन रेखा होती है
सही कहा है, लेकिन घमंड व्यक्ति को उसकी प्रभुता से गिरा देता है.
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