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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

आज का सद़विचार 'जिन्‍दगी'

जिन्‍दगी वैसी नहीं है जैसी आप इसके
लिये कामना करते हैं, यह तो वैसी बन
जाती है, जैसा आप इसे बनाते हैं ।

- एंथनी रयान

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा विचार
    बहुत -२ बधाइयाँ........................

    जवाब देंहटाएं
  2. लाजवाब पंक्तियाँ
    बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    संजय कुमार
    हरियाणा
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. इतनी बढ़िया रचना पर मेरा ध्यान क्यों नही गया?
    बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने

    जवाब देंहटाएं
  4. शुक्रिया सदा जी ,
    मेरी ग़ज़ल पर पहला comment आपका ही था ,तो जब मैंने जवाब देने का सिलसिला शुरू किया तो यही 'सदविचार' आया कि सबसे पहले आपसे मुलाक़ात करती चलूँ .इतने अच्छे -अच्छे विचार पढ़ कर वाक़ई बहुत अच्छा लगा .

    जवाब देंहटाएं

यह सद़विचार आपको कैसा लगा अपने विचारों से जरूर अवगत करायें आभार के साथ 'सदा'