मन का सुख स्वस्थ शरीर भी नहीं दे सकता शारीरिक सुख नहीं हो तो भी सब व्यर्थ लगता दोनों सुख अत्यंत आवश्यक अथाह धन ना ही मन की शांती और चैन नहीं खरीद सकता ना ही शारीरिक सुख दे सकता मन की शांती के लिए ध्यान,आत्म अन्वेषण,आत्मचिंतन और परमात्मा में विश्वास आवश्यक है साथ ही निष्पक्ष,निष्कपट सत्य जीवन जीना भी आवश्यक है शारीरिक सुख के लिए,शरीर का ध्यान रखना,नियमित व्यायाम एवं सादा भोजन आवश्यक है
मन का सुख
जवाब देंहटाएंस्वस्थ शरीर भी नहीं दे सकता
शारीरिक सुख नहीं हो तो भी
सब व्यर्थ लगता
दोनों सुख अत्यंत आवश्यक
अथाह धन ना ही
मन की शांती और चैन
नहीं खरीद सकता
ना ही शारीरिक सुख दे सकता
मन की शांती के लिए
ध्यान,आत्म अन्वेषण,आत्मचिंतन और
परमात्मा में विश्वास आवश्यक है
साथ ही निष्पक्ष,निष्कपट सत्य जीवन
जीना भी आवश्यक है
शारीरिक सुख के लिए,शरीर का ध्यान
रखना,नियमित व्यायाम
एवं सादा भोजन आवश्यक है
राजेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंआपनें बहुत ही न्यून शब्दों को शानदार विस्तार प्रदान किया है, आभार आपका एक विचार को सहज सरल-बोध बनाने के लिए।
बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंविचारणीय विचार .....!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही है ..
जवाब देंहटाएंसच यही है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !