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सोमवार, 24 जनवरी 2011

आज का सद़विचार '' व्‍यंग्‍य ''

दूसरों पर किये गये व्‍यंग्‍य पर हम,
हंसते हैं पर अपने ऊपर किये गये
व्‍यंग्‍य पर रोना तक भूल जाते हैं ।

- रामचन्‍द्र शुक्‍ल

9 टिप्‍पणियां:

  1. आह!! व्यंग्य पर सटीक व्यंग्य है यह विचार

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  2. जिसने अपने पर हँसना सीख लिया उसने जग जीत लिया !

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  3. मनोहर श्‍याम जोशी जी का वाक्‍य है- कितना त्रासद है यह हास्‍य और कितना हास्‍यास्‍पद है यह त्रास.

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  4. अपने पर हंसने वाले आज कितने हैं.बहुत अनुकरणीय विचार.

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  5. well said..
    Happy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..

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