प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें .
- डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ....
झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है
जवाब देंहटाएंएक दम सही कहा है ....हम सही में प्रशंसा कर पायें और सुन पायें ......!
बढिया..
जवाब देंहटाएंउसी तरह झूठी आलोचना भी विकास को बाधित करती है।
जवाब देंहटाएंआज की आपाधापी जिंदगी में यह ब्लांग एक प्रशंसनीय नैतिक कदम है।
जवाब देंहटाएंसुधा भार्गव
हम सही में प्रशंसा कर पायें, झूठी आलोचना भी विकास को बाधित करती है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबात तो सौ टके सही है लेकिन मैं किसी भी तरह की प्रसंसा को नहीं पसंद करता.
जवाब देंहटाएं@प्रशंसा
जवाब देंहटाएंप्रसंशा करना तो आवश्यक है पर यह ध्यान में रखना चाहिए की कब, कहाँ और कितनी की जाय
जवाब देंहटाएंप्रशंसा बहुत सुनी
जवाब देंहटाएंबहुत खुशी मिली
उचित अनुचित पूर्णतया
पता ना चली
मंथन और आत्मचिंतन का
समय है ,
खुद से बात करता हूँ ,
अच्छा,बुरा जानने की
कोशिश करता हूँ
अच्छे पर खुश होता हूँ
बुरे पर पर विचार करता हूँ
मित्रों ,ज्ञानियों से पूछता हूँ
कैसे दूर करूँ सोचता हूँ
निरंतर इसी प्रयास में रहता हूँ
मैंने एक कविता लिखी
जवाब देंहटाएंप्रशंसा बहुत हुयी
बहुत खुशी मिली
उचित,अनुचित थी
पूर्णतया पता ना चली
या खुश करने की
चाल थी
अपने को बड़ा भारी कवि
समझने लगा
फिर मुलाक़ात
हंसमुखजी से हुयी
उन्होंने कविता पढी
मैंने सोचा अब प्रशंसा
सुनने को मिलेगी
प्रशंसा नहीं मिली
नसीहत अवश्य मिली
प्रयास प्रशंसनीय है
अच्छे कवियों को पढो
मंथन और आत्मचिंतन करो
प्रशंसा से सर मत चढाओ ,
बात समझ आ गयी
अब खुद से बात करता हूँ ,
अच्छा,बुरा जानने की
कोशिश करता हूँ
अच्छे पर खुश होता हूँ
बुरे पर पर विचार
करता हूँ
मित्रों ,ज्ञानियों से
पूछता हूँ
कैसे दूर करूँ सोचता हूँ
निरंतर इसी प्रयास में
रहता हूँ