इस सृष्टि में कुछ भी तर्कविहीन नहीं है.सृष्टि के हर नियम के पीछे कोई तर्क होता है. यदि हमारे पास अभी उसे समझने लायक ज्ञान नहीं है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि तर्क नहीं है या कभी भी हम उसे कभी भी नहीं समझ पाएँगे. यदि भावनाओं कि चीर फाड़ करें तो उसके पीछे भी कोई तर्क ही मिलेगा.जैसे हम किसी विशेष तरह के व्यक्ति को क्यों पसंद करते हैं. किस गंध, किस तरह के जींस वाले व्यक्ति को अधिक पसंद करते हैं आदि. किससे भयभीत होते हैं या किसको स्वीकार करते हैं, किसका विरोध करते हैं आदि. घुघूती बासूती घुघूती बासूती
सही कहा है ..जहाँ तर्क होता है वहां भावना नहीं .....और आध्यात्म के लिए भाव का होना आवशयक है .....आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार ! आत्मा तर्कातीत है...
जवाब देंहटाएंइस सृष्टि में कुछ भी तर्कविहीन नहीं है.सृष्टि के हर नियम के पीछे कोई तर्क होता है. यदि हमारे पास अभी उसे समझने लायक ज्ञान नहीं है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि तर्क नहीं है या कभी भी हम उसे कभी भी नहीं समझ पाएँगे.
जवाब देंहटाएंयदि भावनाओं कि चीर फाड़ करें तो उसके पीछे भी कोई तर्क ही मिलेगा.जैसे हम किसी विशेष तरह के व्यक्ति को क्यों पसंद करते हैं. किस गंध, किस तरह के जींस वाले व्यक्ति को अधिक पसंद करते हैं आदि. किससे भयभीत होते हैं या किसको स्वीकार करते हैं, किसका विरोध करते हैं आदि.
घुघूती बासूती
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