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गुरुवार, 30 जून 2011
आज का सद़विचार '' सफलता का राज ''
बुधवार, 29 जून 2011
आज का सद़विचार '' प्रशंसा ''
प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें .
- डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ....
मंगलवार, 28 जून 2011
आज का सद़विचार '' परिवेश ''
असाधारण मानव परिवेश को ही ढालता है।
- हंसराज सुज्ञ
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ......
सोमवार, 27 जून 2011
आज का सद़विचार '' दंड ''
निरंतर उन्नतिशील बने रहना पड़ता है .... ।
- अज्ञात
शुक्रवार, 24 जून 2011
आज का सद़विचार '' मधुर व्यवहार ''''
फटकार नहीं मधुर व्यवहार चाहिए।
हंसराज सुज्ञ
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ...
गुरुवार, 23 जून 2011
आज का सद़विचार '' विपत्ती और सब्र ''
विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है ,
स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है.
बेसब्री में
सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार असंभव हो जाता है.
लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं ,नहीं चाहते हुए भी
समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं
जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी
अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो
मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है ,
उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है.
धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी
एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है.
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ...
बुधवार, 22 जून 2011
आज का सद़विचार '' देशप्रेम ''
समुचित ज्ञान के बिना देशप्रेम की
बातें करने वाले केवल स्वार्थी होते हैं ... ।
- मुक्ता
मंगलवार, 21 जून 2011
आज का सद़विचार '' अनुसरण ''
कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.
उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा .
अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते .
नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे .अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे ,जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी
आज सद़विचार पर हैं ... राजेन्द्र तेला जी ब्लॉग जगत से ...
सोमवार, 20 जून 2011
आज का सद़विचार '' सकारात्मक ''
सब कुछ सकारात्मक हो जायेगा।
- हंसराज सुज्ञ
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से हंसराज सुज्ञ जी का
शुक्रवार, 17 जून 2011
आज का सद़विचार '' समस्या ''
सोच नेपथ्य में रह जाता है ,धीरे धीरे खो जाता है ,केवल भ्रम रह जाता है
भौतिक सुख,अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं
आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता ,जो करना चाहता,
कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता ,उसमें उलझा रहता ,जितना दूर भागता
उतना ही फंसता जाता ....।
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ..... राजेंद्र तेला जी का
बुधवार, 15 जून 2011
आज का सद़विचार '' ईश्वर की प्रेरणा ''
- सुमन सिन्हा
..... आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से सुमन सिन्हा जी का ......
मंगलवार, 14 जून 2011
आज का सद़विचार '' शब्द ही यथार्थ ''
जो उनका भार नहीं पहचानते हैं, लेखक, कवि
और वे जिनके लिए शब्द ही यथार्थ हैं ..... ।
- अन्ना कामीएन्स्का
सोमवार, 13 जून 2011
बुधवार, 8 जून 2011
आज का सद़विचार '' आचरण ''
आचरण भी अच्छा बनता है....।
- हंसराज सुज्ञ
आज का सद़विचार ब्लॉग जगत से ...
आज का सद़विचार '' आध्यात्म ''
वहाँ से आध्यात्म शुरू होता है ...।
- रश्मि प्रभा
आज सद़विचार पर हैं ब्लॉग जगत से रश्मि प्रभा जी ...
मंगलवार, 7 जून 2011
आज का सद़विचार '' पहले ''
फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे
स्वीकार कर लिया जाता है ........।
- स्वामी विवेकानन्द
सोमवार, 6 जून 2011
आज का सद़विचार '' सम्बंध ''
तभी सम्बंध अच्छे बनेंगे।
- हंसराज सुज्ञ
सद़विचारों की श्रृंखला में आज का विचार ब्लॉग जगत से प्रस्तुत है ..
शुक्रवार, 3 जून 2011
आज का सद़विचार '' विश्व ''
किन्तु उसके लिए इसका रंच-मात्र भी उपयोग
नहीं जो इसको पढ़ नहीं सकता ..... ।
- गोल्डोनी